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लोग क्या कहेंगे


  शीर्षक:-  लोग क्या कहेंगे 

    जब भी हम कोई  नया काम शुरू करते है तब उस काम को शुरू करने से पहले  हमें एक डर सताता है  कि " लोग क्या कहेंगे?" और यह सोचकर  हम एक अच्छे काम को भी शुरू करने से डर जाते है। इसलिए  हमे लोगों की फिक्र नहीं करनी चाहिए  कि लोग क्या कहेंगे? इस पर एक गाने की चन्द लाइनें भी याद आती है " अब तो लोग कहेंगे लोगों का काम  है कहना।
बेकार की बातौ में भीग गये क्यौ तेरे नयना।।

       इस पर एक छोटी सी कहानी भी याद आती है :-

       एक बार की बात है, एक बाप और बेटा अपने गधे के साथ अपने गांव की तरफ जा रहे थे। बाप ने अपने बेटे को गधे पर बिठाया हुआ था, और खुद गधे के साथ पैदल चल रहा था।

      कुछ  समय के बाद जब वह दोनों किसी गांव से गुजर रहे थे तो कुछ लोगों ने उन्हें देखा और उन्हें देखकर कहा कि ”  देखो कैसा बेटा है, जो खुद गधे के ऊपर बैठा हुआ है, और अपने बुजुर्ग बाप को पैदल चला रहा है।”



      लोगों की यह बातें बाप बेटे  दोनों ने सुनी। बेटा यह सुनने के बाद,  गधे से नीचे उतर गया और उसने अपने बाप को गधे के ऊपर बिठा दिया। और फिर से दोनों अपने गांव की तरफ चलने लगे।

     थोड़ी देर के बाद फिर से जब वह दूसरे गांव से गुजर रहे थे, तो उसे गांव के लोगों ने भी उन्हें देखा और कहा ” की कैसा बाप है जो खुद गधे के ऊपर बैठा हुआ है और अपने मासूम से बेटे को पैदल चला रहा है। “

    लोगों की यह बात भी दोनों ने सुनी और  सुनने के बाद, बाप भी गधे से नीचे उतर गया। और अब गधे पर ना ही बाप बैठा हुआ था और ना ही बेटा। और वह दोनों बाप बेटे पैदल चलने लगे । अब वह दोनों  चलते-चलते एक दूसरे गाँव  से गुजर रहे थे।

        जब उस गाँव  के लोगौ ने  इन दोनों बाप बेटे को देखा, और उन लोगों ने देखा कि उनके पास एक गधा भी है, और फिर भी यह दोनों पैदल चल रहे हैं। तो उन लोगों ने इन्हें देखकर कहा ” की कैसे बेवकूफ लोग हैं, कि इनके पास गधा होने के बाद भी ये दोनों पैदल चल रहे हैं! “


          अब लोगों की यह बात सुनने के बाद वह दोनों  बाप और बेटे उस गधे के ऊपर बैठ गए, और अपने गांव की तरफ चलने लगे।

      लेकिन फिर से थोड़ी दूर जाने के बाद, लोगों ने जब इन दोनों बाप बेटे को गधे के ऊपर एक साथ बैठा हुआ देखा, तब कहने लगे की ” कैसे इंसान है! जो दोनों ही एक साथ उस बिचारे  बेजुवान गधे पर बैठ कर जारहे हैं और उस गधे की जान निकल रही है। इन दोनों के अंदर जरा भी दया नहीं है।" अब यह सुनने के बाद दोनों बाप बेटों का दिमाग खराब हो गया, और वह समझ गए कि अगर हम इन लोगों की बातें सुनते रहेंगे, तो हम कभी भी अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच पाएंगे। 

      दोस्तों !! हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि लोगों की बातों पर ध्यान मत दो जितने लोग हैं उतनी ही बातें होती रहेगी। और हम इस दुनिया में सभी को खुश नहीं कर सकते हैं।  इसीलिए जो आपको सही लग रहा है, जिसमें आपका फायदा है वही काम करो। 

        लोग आज कुछ कहते हैं तो कल कुछ और। इसीलिए हमें लोगों पर नहीं बल्कि अपने काम पर ध्यान देना है अपनी मंजिल पर ध्यान देना है, और आगे बढ़ते रहना है। अगर हम इसी तरह लोगों की बातें सुनते रहे तो हम कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। और उनकी बातों में उलझ कर अपना भविष्य  बर्बाद कर लेंगे।

आज की प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश  शर्मा " पचौरी "

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